बेअसर पॉलिथीन प्रतिबंध, खुलेआम प्रयोग
शिवपुरी । शासन के ढीले तंत्र का परिणाम है कि पॉलिथीन प्रतिबंध बेअसर है। गली मोहल्लों से लेकर मुख्य बाजार में इसका खुलेआम प्रयोग हो रहा है और जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। यह अलग बात है कि कार्रवाई के नाम पर एकाद बार औपचारिकता पूरी कर एकाध पर छिटपुट जुर्माना ठोक दिया जाता है और फिर मामला जस का तस रहता है।
शासन के निर्देश पर पॉलिथीन पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके अलावा डिस्पोजल यानी थर्माकोल से बने गिलास, कटोरी, चम्मच, थाली पर भी पूरी तरह शासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसको बेचने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान भी है। शासन के निर्देश के बाद थोड़े दिनों तक प्रशासनिक तंत्र जाग गया और तमाम प्रयास शुरू कर दिए गए। हालांकि, तब भी यह पूरी तरह बंद नहीं हो सका था, मगर तब लोग चोरी-छिपे इसका प्रयोग करते थे। कुछ दिनों तक जांच-पड़ताल का क्रम चला तो बड़े प्रतिष्ठानों ने इस पर पूरी तरह रोक लगा दी, मगर रेहड़ी, ठेला व सड़क किनारे दुकान चलाने वाले पॉलिथीन प्रतिबंध के प्रति उदासीन रहे। हालात बदलने के लिए प्रशासन ने कई स्थानों पर कार्रवाई भी की, मगर यह कार्रवाई पॉलिथीन का प्रयोग करने वालों के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी। नतीजतन, पहले चोरी छिपे उसके बाद खुलेआम इसका प्रयोग बाजार में होने लगा है। दुकानदारों की मानें तो कार्रवाई के डर ने इसकी कीमत बढ़ा दी है और चालीस रुपये पैकेट मिलने वाला पॉलिथीन कैरी बैग अब अस्सी से सौ रुपये प्रति पैकेट हो गया है। दुकानदारों की मानें तो पॉलिथीन का प्रयोग तभी बंद हो सकेगा जब इसका कोई सस्ता विकल्प बाजार में उपलब्ध हो जाए। एक चाट के दुकानदार ने कहा कि पॉलिथीन का प्रयोग उसकी मजबूरी है, क्योंकि ग्राहक मांगता है। यदि पॉलिथीन न दी जाए तो वह दूसरी दुकान पर चला जाएगा और इसके चलते उसका व्यापार प्रभावित होगा।
नगरपालिका ने नहीं की कार्रवाई
एक तरफ केंद्र और मप्र सरकार पॉलिथीन के दुष्प्रभावों को लेकर प्लास्टिक पॉलिथीन उपयोग न करने की सलाह लोगों को दे रहे हैं तो वहीं उनके अधीन निकायों द्वारा इस तरफ किसी तरह की प्रभावी कार्रवाई एक बार भी नहीं की गई है। नपा में इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी भी पदस्थ है लेकिन एक बार भी एनाउंसमेंट नहीं कराया गया न किसी दुकान से पॉलिथीन जब्त की गई। यही कारण है कि शहर में प्रतिदिन सफाई के दौरान निकलने वाले कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा पॉलिथीन की होती है। सफाई के बाद पॉलिथीन युक्त कचरा सड़क किनारों पर फेंक दिया जाता है और आग लगा दी जाती है जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
ये है नियम : पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 40 माइक्रोन से पतले पॉलिथीन बैग पर प्रतिबंध है। थोक विक्रेता दुकानदार ग्राहक कोई भी इस श्रेणी के पॉलिथीन का उपयोग नहीं कर सकता। यही नहीं पर्यावरण संरक्षण कानून का उल्लंघन करते पाए जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत 5 साल तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा एक साथ हो सकती है।
शासन के निर्देश पर पॉलिथीन पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके अलावा डिस्पोजल यानी थर्माकोल से बने गिलास, कटोरी, चम्मच, थाली पर भी पूरी तरह शासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसको बेचने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान भी है। शासन के निर्देश के बाद थोड़े दिनों तक प्रशासनिक तंत्र जाग गया और तमाम प्रयास शुरू कर दिए गए। हालांकि, तब भी यह पूरी तरह बंद नहीं हो सका था, मगर तब लोग चोरी-छिपे इसका प्रयोग करते थे। कुछ दिनों तक जांच-पड़ताल का क्रम चला तो बड़े प्रतिष्ठानों ने इस पर पूरी तरह रोक लगा दी, मगर रेहड़ी, ठेला व सड़क किनारे दुकान चलाने वाले पॉलिथीन प्रतिबंध के प्रति उदासीन रहे। हालात बदलने के लिए प्रशासन ने कई स्थानों पर कार्रवाई भी की, मगर यह कार्रवाई पॉलिथीन का प्रयोग करने वालों के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी। नतीजतन, पहले चोरी छिपे उसके बाद खुलेआम इसका प्रयोग बाजार में होने लगा है। दुकानदारों की मानें तो कार्रवाई के डर ने इसकी कीमत बढ़ा दी है और चालीस रुपये पैकेट मिलने वाला पॉलिथीन कैरी बैग अब अस्सी से सौ रुपये प्रति पैकेट हो गया है। दुकानदारों की मानें तो पॉलिथीन का प्रयोग तभी बंद हो सकेगा जब इसका कोई सस्ता विकल्प बाजार में उपलब्ध हो जाए। एक चाट के दुकानदार ने कहा कि पॉलिथीन का प्रयोग उसकी मजबूरी है, क्योंकि ग्राहक मांगता है। यदि पॉलिथीन न दी जाए तो वह दूसरी दुकान पर चला जाएगा और इसके चलते उसका व्यापार प्रभावित होगा।
नगरपालिका ने नहीं की कार्रवाई
एक तरफ केंद्र और मप्र सरकार पॉलिथीन के दुष्प्रभावों को लेकर प्लास्टिक पॉलिथीन उपयोग न करने की सलाह लोगों को दे रहे हैं तो वहीं उनके अधीन निकायों द्वारा इस तरफ किसी तरह की प्रभावी कार्रवाई एक बार भी नहीं की गई है। नपा में इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी भी पदस्थ है लेकिन एक बार भी एनाउंसमेंट नहीं कराया गया न किसी दुकान से पॉलिथीन जब्त की गई। यही कारण है कि शहर में प्रतिदिन सफाई के दौरान निकलने वाले कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा पॉलिथीन की होती है। सफाई के बाद पॉलिथीन युक्त कचरा सड़क किनारों पर फेंक दिया जाता है और आग लगा दी जाती है जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
ये है नियम : पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 40 माइक्रोन से पतले पॉलिथीन बैग पर प्रतिबंध है। थोक विक्रेता दुकानदार ग्राहक कोई भी इस श्रेणी के पॉलिथीन का उपयोग नहीं कर सकता। यही नहीं पर्यावरण संरक्षण कानून का उल्लंघन करते पाए जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत 5 साल तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा एक साथ हो सकती है।