बिना निबंधन के ही चल रहे शहर में कोचिंग संस्थान प्रशासन मौन




शिवपुरी शहर में कोचिंग संस्थानों की भरमार है। यहां पर दो दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थान खुले हुए हैं। किसी संस्थान के पास अब तक निबंधन नहीं है। कोचिंग संस्थानों के लिए बनाये गए कायदे कानून से शहर के कोचिंग संस्थान कोसों दूर हैं। यह कायदे कानून प्रतियोगिता परीक्षाओं व सिलेबस की तैयारी तथा अन्य प्रकार की पढ़ाई कराने वाले निजी कोचिंग संस्थाओं पर नियंत्रण करने के लिए बनाया गया है। लेकिन इस कायदे कानून की धज्जियां उड़ाने में शहर के कोचिंग संस्थान शामिल हैं। संस्थानों में बच्चों की संख्या इतनी है कि ठीक से बैठने की जगह तक नहीं होती है। छात्रों को छोटे से कमरों में जैसे-तैसे बैठाया जाता है और शुल्क के रूप में विषय के अनुसार या फिर ठेका पर ही सभी विषयों का एकमुश्त मोटी रकम ले ली जाती है। कोचिंग के प्रबंधक बच्चों को नामांकन के समय सफलता की गारंटी भी देते हैं। कोचिंग संस्थानों के पास अच्छे उपस्कर, पर्याप्त रोशनी, पेयजल व्यवस्था, शौचालय की सुविधा, स्वच्छ वातावरण, अग्निशमन की व्यवस्था, आकस्मिक चिकित्सा और पार्किंग की सुविधा सहित अन्य सुविधा तक नहीं है। जबकि नियमानुसार ये सारी सुविधाएं होनी चाहिए। वहीं कोचिंग संस्थान स्कूल के समय में भी कमोवेश दिनोंभर चलते हैं। कोचिंग संचालक सरकार व अधिनियम के नियमों की परवाह किये बगैर अपनी कमाई करने में लगे हुए हैं। स्कूल टाइम में चलने वाली इन कोचिंग संस्थानों की सीटें भरी रहती है और स्कूल में बच्चों की संख्या आधी रहती है। वहीं हद तो जब हो जाती है जब कोचिंग के पास गली में साइकिल व मोटरसाइकिल बेतरतीव ढंग से छात्र खड़ा कर पढ़ने चले जाते हैं। संचालक अक्सर लोगों को अपना धौंस दिखाकर डरा धमका देते हैं। लोगों ने कहा कि अगर उनके पास जगह नहीं है तो कोचिंग बंद कर दे। सरकार व प्रशासन को इन पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए।