सैलानियों के आकर्षण का केंद्र शिवपुरी
शिवपुरी - जिला उत्तर में मुरैना, ग्वालियर और दतिया जिलों द्वारा, पूर्व में यूपी के झांसी जिले द्वारा, पश्चिम में राजस्थान के कोटा जिले और दक्षिण में गुना जिले से घिरा हैं। जिला मुख्यालय शिवपुरी, ग्वालियर से 113 किलोमीटर और गुना से 98 किलोमीटर पर एनएच -46 पर स्थित है। जिला ज्यादातर छोटे पहाड़ी चोटी पर स्थित हैं जो पर्णपाती जंगलों से ढके हैं जहां ढलान सदा वनस्पति और चारों ओर अच्छे जंगलों के साथ सौम्य है|
यह एक पर्यटक नगरी है और यहां का सौंदर्य अनुपम है । शिवपुरी की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने के लिए यहां पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं । शिवपुरी ग्वालियर के सिंधिया वंश की समर कैपिटल थी l वे शिवपुरी में गर्मियों के दिनों में यहां रहने के लिए आया करते थे । शिवपुरी में कुछ महल और झीलें यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती हैं । पूरे वर्ष शिवपुरी में सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहता है ।
छत्री
छतरी संगमरमर की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है । छतरी में प्रवेश करते ही विधवा रानी महारानी संख्या राजे सिंधिया की स्मृति में समाधि स्थल है । उनके सामने तालाब और उसके बाद सामने ही माधवराव सिंधिया का समाधि स्थल बना है ।इनके बुर्ज मुगल और राजपूत की मिश्रित शैली में निर्मित है । इन समाधि स्थलों में संगमरमर और रंगीन पत्थरों की कारीगरी उत्कृष्ट एवं अद्वितीय है । किसी तालाब के एक और राम सीता और लक्ष्मण का मंदिर , मंदिर के बहार हनुमान जी खड़े हैं इस मंदिर के ठीक सामने तालाब के उस पार राधा कृष्णा का मंदिर है । छतरी का निर्माण ग्वालियर नरेश श्री माधौ महाराज ने अपनी माता की स्मृति में कराया था । बाद में माधौ महाराज की स्मृति में एक और छतरी का निर्माण हुआ इस तरह माता और पुत्र की छतरियां आमने-सामने हैं ।एक स्थल का अपनी माता के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक है ।
माधव नेशनल पार्क
माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह शिवपुरी के उत्तर में स्थित है। उद्यान पर्यटकों के लिए वर्ष भर खुला रहता है। यहाँ कई प्रकार की पहाडियाँ, सूखे, मिश्रित और पतझड़ी वन और घास के बड़े मैदान झील के आस-पास हैं, जो अनेक प्रकार के वन्य जीवों का दृश्य उपलब्ध कराते हैं। अधिकांश जानवरों को जैसे जंगल में नीलगाय, चिंकारा और चौसिंगा और हिरण जैसे चीतल, सांभर और बार्किंग हिरण जैसे मृग रहते हैं। तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, साही, अजगर आदि जानवर भी पार्क में देखे जाते हैं।
जॉर्ज कैसल
माधव नेशनल पार्क के अंदर अपने उच्चतम बिंदु पर समुद्र तल से 484 मीटर (1597 फीट) की ऊँचाई पर यह उत्तम जॉर्ज कैसल खड़ा हुआ है। दरअसल वर्ष 1910 में जॉर्ज पंचम वर्ष 1910 में ग्वालियर आए थे और वहां से उन्हें शिवपुरी में शेर का शिकार करने के लिए आना था क्योंकि शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में ही शिकारगाह बने हुए थे इसलिए जार्ज पंचम के रुकने एवं विश्राम के लिए नेशनल पार्क में ही एक कोठी का निर्माण किया गया था । परंतु बाद में जॉर्ज पंचम का शिवपुरी दौरा रद्द हो गया था ।
सुल्तानगढ़ जलप्रपात
सुल्तानगढ़ जलप्रपात शिवपुरी से 50 किलोमीटर दूर घूमने के लिए एक अच्छी जगह है। सुल्तानगढ़ जलप्रपात एक बहुत ही खूबसूरत झरना है। यह शिवपुरी का दर्शनीय स्थल है। सुल्तानगढ़ जलप्रपात शिवपुरी ग्वालियर हाईवे रोड पर स्थित है। आप यहां पर बरसात के समय घूमने के लिए आ सकते हैं। बरसात के समय इस झरनें पर पानी रहता है। गर्मी में इस झरनें से पानी सूख जाता है। यहां पर एकांत में स्थित है।
नरवर का किला
नरवर का किला शिवपुरी से 41 की दूरी पर स्थित है, नरवर कस्बा काली सिंध नदी के पूर्व में ऊंची पहाड़ी पर स्थित है | महाभारत में इसकी चर्चा राजा नल की राजधानी के रूप में की गई है| यहां की संस्कृति के अभिलेखों से पता चलता है कि यह जगह नलपुर के नाम से भी जानी जाती थी| यह किला एक शाही किला है जो क्षेत्र के शाही साम्राज्य के बारे में बतलाता है। यह एक शानदार अनुस्मारक और क्षेत्र के विस्तार के बारे में उल्लेख करता एक स्थान है जो निरंतर चलने वाले युद्धों के बारे में भी कुछ जानकारी देता हे।
तात्या टोपे समाधि स्थल
सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे की प्रतिमा उस स्थान पर लगाई गई है, जहाँ उन्हें 17 अप्रैल 1859 को शिवपुरी में फाँसी पर लटका दिया था, वह झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई के सेनापति थे, वे गुरिल्ला वारफेयर में अतुलनीय थे । फांसी के बाद उनकी लाश को पेड़ पर लटका दिया गया फिर आम जनता द्वारा उनका अन्तिमसंस्कार किया गया था उस पेड के पास एक शिलालेख बना दिया गया बाद में यहां तात्या टोपे की मूर्ति स्थापित हुई।
भदैया कुंड
शिवपुरी का ये भदैया कुंड का वाटर फॉल अपनी अनोखी खासियत के लिए जाना जाता है। कहा जाता है की अगर यहां जो भी प्रेमी जोड़ा स्नान कर लेता है तो वह हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो जाते हैं। लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता है। यहां झरने के नीचे एक बहुत प्राचीन शिव मन्दिर है इसी शिवमन्दिर में नीचे की तरफ एक गौमुख बना हुआ है जिसमें से 12 महीने पानी निकलता रहता है जिसके लिए कहा जाता है कि किसी को नहीं पता की गौमुख में पानी आने का स्त्रोत क्या है। यह पानी इतना शुद्ध है कि पहले इस पानी को बड़े-बड़े कंटेनरों में पैक करके विदेशों तक मे ले जाया जाता था ।
बाणगंगा
बाणगंगा, शिवपुरी में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। इस शहर का नाम भी भगवान शिव के नाम पर ही रखा गया है जिसे शहर के इतिहास और धर्म से खचाखच भरे चौक द्वारा सुझावा गया था। चौक की हर सड़क, पर्यटकों को 7 वीं सदी के एक मंदिर की ओर ले जाती है जहां भगवान की मूर्ति स्थापित होती है।बाणगंगा, हिन्दूओं के लिए एक धार्मिक और पवित्र भूमि है। बाणगंगा एक प्राचीन मंदिर है और यहां मंदिर परिसर में पानी के 52 पवित्र तालाब स्थित है जिसके बारे में माना जाता है कि पांडवों में से अर्जुन ने भीष्म की प्यास बुझाने के लिए मैदान में तीर मारकर पानी निकाला था जिससे भीष्म की प्यास बुझ गई थी।
क्षितिज अग्रवाल( शोधकर्ता एवं इतिहासकार)
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