नगर में स्वच्छ भारत अभियान को सेंध लगाते सूअर नगर पालिका को नहीं कोई सुध

शिवपुरी। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके मंत्री देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं। वहीं दूसरी ओर शिवपुरी में सूअरों के शूट आउट के बाद भी शिवपुरी नगरी एक बार फिर से सूअरों के आतंक की गिरफ्त में आ गई है। शहर में कोई भी कॉलोनी, मोहल्ला और गलियां ऐसी नहीं है जहां सूअरों का निश्चिंत विचरण न हो। शिवपुरी शहर में सुअरों की बहुत ज्यादा है. इस समस्या के निबटारे के लिए स्थानीय डॉक्टर राजेंद्र गुप्ता ने 2014 में हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. और मार्च 2014 में न्यायालय ने नगर पालिका को तीन महीने के भीतर सुअरों को शहर से हटाने का निर्देश दिया था । परंतु नगर पालिका इस कार्य को पूर्ण नहीं कर पायी और फिर अदालत से फटकार लगने पर नगर पालिका ने सुअर पालकों से कहा कि वे खुद सुअरों को शहर से हटा दें या फिर उन्हें बाड़े तक ही सीमित रखे. लेकिन जब इस अपील का कोई असर नहीं हुआ तो पालिका ने प्रोफेशनल शूटर की सेवाएं लीं । इसके लिए बाकायदा टेंडर निकाला गया था । प्रति सुअर 240 रु. के भुगतान का निर्णय लिया गया था । परंतु यह निर्णय भी नगरपालिका का असफल रहा और प्रोफेशनल शूटर ने सूअर शूटआउट अभियान को आधा छोड़ गए और यही कारण है कि आज शिवपुरी में एक बार फिर सूअरों की तादात बहुत अधिक हो गई है जिनसे आम नागरिकों को लगातार खतरा बना रहता है और यह सुअर शिवपुरी में स्वच्छ भारत अभियान को सेंध लगाते नजर आ रहे है।

अस्पताल परिसर में भी घूम रहे सूअर
शिवपुरी नपा की लापरवाही इतनी बढ़ गई है कि अब शहर की सड़कों, प्रमुख स्थलों के अलावा शासकीय कार्यालय भी इन सूअरों के झुंड से अछूते नहीं है। इसी तरह वह शासकीय अस्पताल परिसर,ग़ांधी पार्क सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सूअरों का झुंड नजर आ रहा है।

बीमारी का कारण भी बनते है सुअर

सुअरों के द्वारा स्वाइन फ्लू नामक बीमारी फैलती है जो कि एक महामारी है इससे पीड़ित रोगी की मौत तक हो जाती है और इस महामारी से कई मौतें भी हो चुकी है फिर भी नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को कोई सुध नहीं है कि इन सुअरों के पालकों के खिलाफ और नगर की जनता के हित में कोई कार्यवाही की जाये उन्हें तो जिसमे सुविधा शुल्क मिला है उस काम से मतलब रहता है अगर इस सुअरों से  बीमारी फ़ैलती है तो कौन जिम्मेदार होगा।